जब प्रकाश प्रिज़्म से गुजरता है तो क्या होता है? सफ़ेद रोशनी बनती है सात रंगों की पहेली — न्यूटन को प्रिय प्रकाश की दुनिया
नमस्ते, मैं हूँ साइंस ट्रेनर केन कुवाको। मेरे लिए हर दिन एक नया प्रयोग है।
बारिश के बाद आसमान में चमकता इंद्रधनुष हो या साबुन के बुलबुलों पर तैरते वे सात जादुई रंग, हम सभी ने कभी न कभी यह जरूर सोचा होगा कि “आखिर रोशनी में ये रंग कहाँ से आते हैं?” सच तो यह है कि हमारे चारों ओर दिखने वाली इस साधारण सी “सफ़ेद रोशनी” के भीतर रंगों की एक खूबसूरत परेड छिपी होती है। आज हम उस रहस्य को उजागर करने वाले एक जादुई औजार, यानी प्रिज्म के साथ एक मजेदार प्रयोग करेंगे।
रोशनी का रहस्य: प्रिज्म का जादू
हमें सिखाया जाता है कि “रोशनी सीधी रेखा में चलती है,” लेकिन सच यह है कि कुछ खास परिस्थितियों में यह अपना रास्ता बदल भी सकती है। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion), जहाँ रोशनी अलग-अलग रंगों में बंटती हुई दिखाई देती है।
सबसे पहले, इस प्रयोग के वीडियो में देखें कि कैसे रोशनी अपना रूप बदलती है:
जब सफ़ेद रोशनी प्रिज्म से टकराती है, तो दूसरी तरफ से वह एक शानदार इंद्रधनुष बनकर निकलती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सफ़ेद रोशनी असल में कई अलग-अलग तरंगदैर्घ्य (wavelengths) वाली किरणों का मिश्रण है। हर रंग की अपनी खासियत होती है, और प्रिज्म से गुजरते समय उनकी अपवर्तन दर (Refractive Index) यानी मुड़ने की क्षमता अलग-अलग होती है। यही बारीक अंतर बाहर निकलते समय रंगों की एक चौड़ी पट्टी के रूप में दिखाई देता है।

एकल रंग (Monochromatic Light) से समझें मुड़ने का अंतर
अब सोचिए, अगर हम लाल या हरे रंग की लेजर लाइट (एकल रंग) का इस्तेमाल करें तो क्या होगा? चूंकि इनमें केवल एक ही तरंगदैर्घ्य होता है, इसलिए ये प्रिज्म से गुजरते समय रंगों में नहीं बंटतीं। लेकिन ध्यान देने वाली बात उनका झुकाव कोण (Angle of deviation) है। अगर आप तस्वीरों की तुलना करेंगे, तो पाएंगे कि हरा प्रकाश लाल प्रकाश की तुलना में ज्यादा मुड़ता है।
इसका कारण यह है कि हरे प्रकाश की तरंगदैर्घ्य (wavelength) छोटी होती है, जिसके कारण कांच जैसे माध्यम से गुजरते समय यह अधिक प्रभावित होता है और ज्यादा मुड़ जाता है। रंगों के बीच मुड़ने का यही अंतर असल में इंद्रधनुष बनने की असली वजह है।
प्रयोग को सफल बनाने के टिप्स
अगर आप इस प्रयोग को स्कूल में या घर पर कर रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
जरूरी चीजें
・त्रिभुजाकार प्रिज्म (एक्रिलिक या कांच का, जितना पारदर्शी हो उतना अच्छा) ・प्रकाश स्रोत (सफ़ेद LED लाइट और लाल-हरे रंग का लेजर पॉइंटर) ・काला चार्ट पेपर या स्क्रीन (रोशनी की लकीरों को साफ देखने के लिए) ・अंधेरा कमरा (सिर्फ पर्दे गिरा देने से रोशनी का रास्ता बहुत साफ दिखाई देने लगता है)
प्रयोग की विधि
१. कमरे में अंधेरा करें और प्रिज्म के कोने पर सफ़ेद रोशनी डालें। स्क्रीन पर देखें कि क्या दिखता है। २. रोशनी को रंगों में बंटते हुए (Spectroscopy) ध्यान से देखें। ३. अब लाल लेजर लाइट डालें और देखें कि वह स्क्रीन पर कहाँ पहुँच रही है।

४. अब हरी लाइट डालें और उसकी तुलना लाल लाइट की स्थिति से करें। आप साफ देख पाएंगे कि कौन सी लाइट ज्यादा मुड़ी है।

५. फोटो या वीडियो बनाकर आप अपवर्तन के अंतर का विश्लेषण कर सकते हैं। नीचे दी गई फोटो में लाल और हरे रंग को एक साथ दिखाया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि लाल रंग कम मुड़ता है।

वीडियो के माध्यम से “विक्षेपण” और “अपवर्तन” के बीच का अंतर समझने से छात्रों में जिज्ञासा पैदा होती है। विज्ञान की बातों को सिर्फ शब्दों में सुनने के बजाय अपनी आँखों से देखना समझ को कहीं ज्यादा गहरा बना देता है।
न्यूटन और रोशनी की कहानी
प्रकाश के विज्ञान की बात हो और आइजैक न्यूटन का नाम न आए, ऐसा नहीं हो सकता। पुराने समय में लोग मानते थे कि प्रिज्म खुद रोशनी को रंग देता है। लेकिन न्यूटन ने साबित किया कि “सफेद रंग असल में सभी रंगों का मेल है।”
जापान के नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचर एंड साइंस में उनकी इसी उपलब्धि को दर्शाने वाली एक चीज है: न्यूटन की सात रंगों वाली डिस्क।

जब इस सात रंगों वाली डिस्क को तेजी से घुमाया जाता है, तो वह सफ़ेद दिखने लगती है। यह प्रिज्म से बिल्कुल उल्टा अनुभव है: “रंगों को मिलाकर सफ़ेद बनाना।” भले ही न्यूटन ने खुद यह उपकरण न बनाया हो, लेकिन उनके प्रकाश के सिद्धांत आज भी हमारी शिक्षा का आधार हैं।
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