मेइजी काल के मॉडल से लेकर नवीनतम ऐप तक! मधुमक्खियों के नृत्य से समझें ‘तरंगों’ की असली प्रकृति (अनुप्रस्थ तरंगें・अनुदैर्ध्य तरंगें・अध्यारोपण)

नमस्ते! मैं कुवाको केन हूँ, एक साइंस ट्रेनर। मेरे लिए हर दिन एक नया प्रयोग है।

लहरें या तरंगें (Waves) हमारे चारों ओर हर जगह मौजूद हैं। समंदर की लहरों से लेकर, आवाज़ और रोशनी तक। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये असल में हैं क्या? देखने में लगता है कि कोई चीज़ आगे बढ़ रही है, लेकिन हकीकत में उस जगह मौजूद माध्यम (Medium) कैसे हिल रहा है, यह समझना थोड़ा पेचीदा और जादुई अनुभव हो सकता है।

आज हम बात करेंगे कि कैसे पुराने ज़माने यानी明治 (Meiji) काल से लेकर आज के डिजिटल युग तक, तरंगों को आँखों के सामने लाने के लिए क्या-क्या दिलचस्प तरीके अपनाए गए हैं।

मेजी काल की समझदारी: ‘गोल्डस्टीन वेव मॉडल’ से तरंगों को देखना

यह है गोल्डस्टीन वेव मॉडल, जिसे नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचर एंड साइंस में प्रदर्शित किया गया था। यह एक बेहद शानदार मशीन है जो तरंगों के चलने के तरीके को यांत्रिक तरीके से दिखाती है।

जब आप इस मशीन के किनारे लगे हैंडल को घुमाते हैं, तो इसके अंदर मौजूद एक धातु का सर्पिल तंत्र (Spiral mechanism) घूमने लगता है। इसकी वजह से ऊपर लगी गेंद वाली छड़ें एक के बाद एक, थोड़े-थोड़े अंतराल पर ऊपर-नीचे होती हैं। इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे लहर दाईं ओर बढ़ रही है।

इस ‘थोड़े-थोड़े अंतराल’ या टाइमिंग के फर्क को ही विज्ञान में फेज़ (Phase) कहा जाता है। हालांकि यह एक ऐतिहासिक म्यूजियम पीस है इसलिए इसे चलाकर नहीं देखा जा सका, पर यह सोचना ही रोमांचक है कि इसे मेजी काल के उत्तरार्ध में बनाया गया था। उस दौर के शिक्षक भी अदृश्य तरंगों को छात्रों को समझाने के लिए कितनी मेहनत और रचनात्मकता का इस्तेमाल करते थे, यह वाकई काबिले तारीफ है।

डिजिटल युग का कमाल! मधुमक्खियों की मदद से समझें ‘अनुप्रस्थ’ और ‘अनुदैर्ध्य’ तरंगें

आज के दौर में हम कंप्यूटर की मदद से तरंगों को और भी बेहतर ढंग से देख सकते हैं। मैंने ‘Scratch’ का इस्तेमाल करके एक डिजिटल टूल बनाया है, जहाँ “मधुमक्खियों” के जरिए तरंगों के प्रकारों को समझाया गया है।

जब मधुमक्खियां समझाती हैं ‘अनुप्रस्थ तरंगें’ (Transverse Waves)

सबसे पहले देखते हैं अनुप्रस्थ तरंगें, जो वैसी ही दिखती हैं जैसी हम आमतौर पर लहरों की कल्पना करते हैं।

यहाँ कई मधुमक्खियां एक कतार में हैं। अगर आप किसी एक को गौर से देखेंगे, तो पाएंगे कि वह सिर्फ ऊपर और नीचे हिल रही है। लेकिन जब हर मधुमक्खी अपने बगल वाली से ज़रा सी देरी से हिलती है, तो ऐसा जादुई नज़ारा दिखता है जैसे पूरी लहर दाईं ओर जा रही हो।

https://scratch.mit.edu/projects/205914073/

एक पल के लिए ठहरिए और समझिए ‘अनुदैर्ध्य तरंगें’ (Longitudinal Waves)

अब बात करते हैं अनुदैर्ध्य तरंगों की, जैसे कि ध्वनि तरंगें (Sound waves)।

इन तरंगों को समझना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इनमें माध्यम (मधुमक्खियां) लहर की दिशा में ही आगे-पीछे हिलती हैं। इसे आसान बनाने के लिए मैंने इस टूल को ऐसे बनाया है कि जब मधुमक्खी दाईं ओर झुकेगी तो वह दाईं तरफ देखेगी, और बाईं ओर झुकेगी तो बाईं तरफ देखेगी

अगर आप ‘स्टॉप’ बटन दबाकर इन्हें रोकेंगे, तो सब साफ हो जाएगा। जहाँ मधुमक्खियां एक-दूसरे की ओर देख रही हैं, वहाँ वे घनी हो जाती हैं—इसे संपीड़न (Compression) कहते हैं। और जहाँ वे एक-दूसरे से दूर देख रही हैं, वहाँ जगह खाली हो जाती है—इसे विरलन (Rarefaction) कहते हैं। साथ ही, इसमें एक बटन है जो इन पेचीदा तरंगों को आसान ग्राफ में बदलकर दिखाता है।

वीडियो के जरिए जानें तरंगों का जादू

सिर्फ सिमुलेशन ही नहीं, असल दुनिया में इन्हें देखना भी ज़रूरी है। तरंगों के कई मज़ेदार गुण होते हैं जैसे टकराकर वापस आना (परावर्तन) या एक-दूसरे से मिलना (व्यतिकरण)। इन वीडियो के ज़रिए तरंगों की दुनिया में और गहराई से उतरें:

मुक्त सिरा परावर्तन (Free-end Reflection)

जब लहर किसी ऐसी जगह से टकराती है जो बँधी हुई नहीं है और आज़ादी से हिल सकती है।

नियत सिरा परावर्तन (Fixed-end Reflection)

जब लहर किसी मज़बूत दीवार से टकराती है, तो वह पूरी तरह से उल्टी होकर वापस आती है।

अध्यारोपण का सिद्धांत (Principle of Superposition)

जब दो लहरें आपस में टकराती हैं, तो वे कभी एक-दूसरे को मिटा देती हैं तो कभी और बड़ी हो जाती हैं। यह वाकई अद्भुत है!

अनुदैर्ध्य और अनुप्रस्थ तरंगें

एक स्लिंकी (Slinky) स्प्रिंग का उपयोग करके दोनों तरह की तरंगों के बीच का अंतर देखें।

तरंगें और ऑसिलोस्कोप

आवाज़ की उन तरंगों को देखें जिन्हें हम सुन तो सकते हैं पर देख नहीं सकते, अब वे स्क्रीन पर ग्राफ के रूप में दिखेंगी।

बीट्स (Beats)

जब लगभग एक जैसी फ्रीक्वेंसी वाली दो आवाज़ें मिलती हैं, तो एक खास तरह की “वॉन-वॉन” गूँज सुनाई देती है।

फिजिक्स पढ़ते समय तरंगों को समझना अक्सर एक बड़ी चुनौती जैसा लगता है, लेकिन एक बार जब आप इसका मर्म समझ लेते हैं, तो दुनिया आपको एक अलग ही नज़रिए से दिखाई देने लगती है। उम्मीद है ये टूल्स आपकी समझ को गहरा करेंगे।

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