ऑक्सीडॉल से ऑक्सीजन: 5 प्रो-टिप्स से अपना विज्ञान प्रयोग 100% सफल बनाएँ!
मैं हूँ सायन्स ट्रेनर, कुवाको केन। हर दिन एक नया प्रयोग।
रोगाणुनाशक (Disinfectant) के रूप में प्रसिद्ध ‘ऑक्सीडॉल’! क्या आप जानते हैं कि इस तरल पदार्थ से हम जीवन के लिए अत्यंत ज़रूरी ‘ऑक्सीजन’ गैस निकाल सकते हैं? इस बार, हम एक ऐसा ऑक्सीजन निर्माण प्रयोग पेश कर रहे हैं जो आमतौर पर कक्षा 7 (मध्य विद्यालय) के विज्ञान में किया जाता है और इसमें आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग होता है। यह प्रयोग जितना आसान दिखता है, इसे सफल बनाने के लिए उतनी ही थोड़ी सी तरकीब की ज़रूरत होती है। हम आपको तैयारी से लेकर सफ़ाई तक, उन पेशेवर युक्तियों के बारे में विस्तार से बताएँगे जो पाठ्यपुस्तकों में नहीं हैं, लेकिन समय बचाकर सफलता दर को बहुत बढ़ा देती हैं। तो चलिए, साथ मिलकर विज्ञान की दुनिया में झाँकते हैं!
आवश्यक सामग्री (Preparation)
- ऑक्सीडॉल (3% हाइड्रोजन परॉक्साइड सॉल्यूशन) 7mL
- मैंगनीज डाइऑक्साइड (Manganese Dioxide)
- परखनली (टेस्ट ट्यूब) 3
- माचिस
- अगरबत्ती (या धूपबत्ती)
- जली हुई चीज़ें रखने का पात्र
- गीला कपड़ा
- चूने का पानी (Lime water)
ऑक्सीडॉल से ऑक्सीजन क्यों? प्रयोग की प्रक्रिया
आख़िर ऑक्सीडॉल से ऑक्सीजन बनती क्यों है? ऑक्सीडॉल वास्तव में ‘हाइड्रोजन परॉक्साइड (H₂O₂)’ नामक पदार्थ का जलीय घोल है। यह हाइड्रोजन परॉक्साइड थोड़ा अस्थिर होता है, और इसे अकेला छोड़ देने पर यह धीरे-धीरे पानी (H₂O) और ऑक्सीजन (O₂) में विघटित (Decompose) होता है।
2H₂O₂ ⟶ 2H₂O + O₂
इस प्रतिक्रिया को नाटकीय रूप से तेज़ करने का काम करता है काला पाउडर, ‘मैंगनीज डाइऑक्साइड (MnO₂)’। मैंगनीज डाइऑक्साइड ‘उत्प्रेरक’ (Catalyst) की भूमिका निभाता है, यानी यह रासायनिक प्रतिक्रिया को आगे बढ़ाता है लेकिन ख़ुद में कोई बदलाव नहीं लाता। यह किसी मैराथन धावक के पेसमेकर जैसा है जो उसकी गति बढ़ा देता है।
समय बचाकर सफलता! प्रयोग की प्रक्रिया और प्रो-टिप्स
टिप ①: मैंगनीज डाइऑक्साइड का ‘दानेदार’ रूप, बस एक दाना!
मैंगनीज डाइऑक्साइड पाउडर (चूर्ण) और दानेदार (Granular) दोनों रूपों में उपलब्ध होता है, लेकिन दानेदार रूप का उपयोग करना सबसे अच्छा है।
यदि आप पाउडर का उपयोग करते हैं, तो हाइड्रोजन परॉक्साइड के साथ उसका संपर्क क्षेत्र (Surface area) इतना बड़ा होता है कि प्रतिक्रिया एक ही बार में बहुत तेज़ हो जाती है। आप देखेंगे कि तेज़ बुदबुदाहट के बाद, प्रतिक्रिया झट से ख़त्म हो जाती है। इसके विपरीत, दानेदार रूप में प्रतिक्रिया धीरे-धीरे और लंबे समय तक चलती है, जिससे आप आराम से ऑक्सीजन जमा कर सकते हैं। मात्रा बस ‘एक दाना’ ही काफ़ी है।
टिप ②: 3% ऑक्सीडॉल पर्याप्त है! तैयारी बस ठीक पहले करें
बाज़ार में आसानी से मिलने वाला ऑक्सीडॉल (3% हाइड्रोजन परॉक्साइड) भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पैदा करता है। यह सांद्रता (Concentration) सुरक्षित है, अगर गलती से हाथ पर गिर भी जाए, तो तुरंत धो देने से कोई नुकसान नहीं होगा।
चूँकि हाइड्रोजन परॉक्साइड आसानी से विघटित हो जाता है, इसलिए प्रयोग से ठीक पहले बीकर आदि में आवश्यक मात्रा तैयार करें, और छात्रों को बारी-बारी से लेने दें, यह तरीका सबसे सुगम है।
टिप ③: प्रतिक्रिया धीमी है? तो फिर ‘गरम’ करें!
परखनली को पहले से पानी में डुबोकर रखें।
सर्दियों जैसे ठंडे मौसम में, रासायनिक प्रतिक्रिया की गति धीमी हो जाती है। अगर आपको लगे कि “ऑक्सीजन ठीक से नहीं निकल रही है…” तो गरम पानी से भरा एक बड़ा बीकर तैयार करें और प्रतिक्रिया कर रही परखनली को उसमें डुबो दें। तापमान बढ़ने पर अणुओं की गतिशीलता बढ़ जाती है, जिससे प्रतिक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ती है।
※ सुरक्षा के लिए, परखनली को स्टैंड पर छोड़ने के बजाय, उसे हाथ से कसकर पकड़कर रखें।
टिप ④: ‘जलन में सहायक गुण’ की पुष्टि करें!
यह जमा की गई ऑक्सीजन की प्रकृति की पुष्टि करने का चरम क्षण है! जलती हुई अगरबत्ती को परखनली के अंदर डालते ही… बुझने वाली आग “पॉप” की आवाज़ के साथ फिर से ज्वाला पकड़कर तेज़ी से जलने लगती है। यह ऑक्सीजन के ‘पदार्थों को जलने में मदद करने के गुण (Combustibility-assisting property)’ के कारण होता है। हम साँस से ऑक्सीजन इसीलिए लेते हैं ताकि शरीर के अंदर पोषण को जलाकर ऊर्जा प्राप्त कर सकें। यह सचमुच जीवन को सहारा देने वाली गैस है!
टिप ⑤: चूने के पानी से ‘अलग’ होने का प्रमाण दें
अगला कदम है: तीसरी परखनली में चूने का पानी (लाइम वॉटर) डालकर हिलाएँ। नतीजा क्या होता है? कुछ नहीं होता, और चूने का पानी पारदर्शी ही रहता है।
यह विफलता (Failure) नहीं है। चूने का पानी ‘कार्बन डाइऑक्साइड’ का पता लगाने के लिए एक अभिकर्मक (Reagent) है। चूने के पानी का दूधिया न होना यह साबित करता है कि ‘उत्पन्न हुई गैस कार्बन डाइऑक्साइड नहीं है’। यह भी प्रयोग का एक शानदार परिणाम है।
सुरक्षित सफ़ाई का तरीक़ा
मैंगनीज डाइऑक्साइड एक उत्प्रेरक है, इसलिए यह प्रयोग के बाद भी बचा रहता है। इसे सीधे सिंक में फेंकने से नाली जाम हो सकती है, इसलिए पहले इसे किसी छन्नी में डालें और फिर परखनली धोएँ।
इस अवसर पर, परखनली ब्रश (टेस्ट ट्यूब ब्रश) का सही उपयोग भी सीख लेना चाहिए।
इन युक्तियों का पालन करके, आप लगभग 50 मिनट की कक्षा में प्रयोग को सुचारू रूप से पूरा कर सकते हैं। अगली बार कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन निर्माण प्रयोग को आज़माएँ!
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