आईने में केक वापस कैसे आया!? मिडिल स्कूल के छात्रों को दीवाना बनाने वाला कार्ड मिरर प्रयोग

मैं हूँ आपका साइंस ट्रेनर, कुवाको केन! हर दिन एक नया प्रयोग!

जब हम शीशे के सामने खड़े होते हैं, तो हमें “हमारा दूसरा रूप” नज़र आता है। यह एक रोज़मर्रा की बात लगती है, पर सच कहें तो शीशे की यह दुनिया बहुत ही रहस्यमय है। क्या होगा अगर एक की जगह दो शीशे हों… तब वहाँ कैसा नज़ारा होगा?

“यह तो मुश्किल होगा…” ऐसी चिंता बिल्कुल मत कीजिए! इस बार हम आपको एक ऐसा जादुई विज्ञान प्रयोग बता रहे हैं, जिससे आप 100 रुपये की दुकान (डाइसो जैसी) के सामान से एक हैरान कर देने वाली खूबसूरत दुनिया बना सकते हैं। बच्चे हों या बड़े, हर कोई “वाह!” ज़रूर कहेगा। आइए, रोशनी के इस भ्रम (इल्यूजन) का अनुभव करें!

सिर्फ दो शीशों से पूरा केक कैसे प्रकट होता है?

जब हम विज्ञान की क्लास में शीशे (दर्पण) वाला पाठ पढ़ाते हैं, तो सिर्फ़ बातों या डायग्राम से रोशनी के रास्ते और छवि बनने की प्रक्रिया समझाना थोड़ा नीरस हो जाता है। मैं हमेशा वह पल देखना चाहता हूँ जब छात्रों के चेहरे पर बने ‘?’ के भाव ‘!’ में बदल जाएँ। इसी कोशिश ने मुझे इस प्रयोग तक पहुँचाया।

इसका मुख्य किरदार है केक के एक-चौथाई हिस्से का चित्र। जब आप इसे दो शीशों के बीच रखते हैं… तो देखिए, मानो जादू से, एक पूरा हॉल केक (गोल केक) प्रकट हो जाता है! इस अद्भुत घटना के ज़रिए, आप शीशे से बनने वाली छवि के रहस्यों और समरूपता की सुंदरता को मज़ेदार तरीके से सीख सकते हैं।

प्रयोग की तैयारी और प्रक्रिया
【ज़रूरी सामान】

  • कार्ड साइज़ का शीशा (मिरर): 2 नग (यह 100 रुपये वाली दुकान पर आसानी से मिल जाता है। इसकी ख़ासियत यह है कि इसे हर छात्र को आसानी से दिया जा सकता है)
  • प्रयोग के लिए चित्र शीट (केक का एक-चौथाई हिस्सा या तारे जैसी समरूप (सिमेट्रिकल) आकृतियाँ सबसे अच्छी रहती हैं)
  • मोटा कागज़ या टेप (शीशों को सीधा खड़ा करने में मदद करता है)

【प्रक्रिया】

  1. केक के एक-चौथाई हिस्से का चित्र प्रिंट करके मेज़ पर रखें।
  2. दो कार्ड शीशों का उपयोग करें और उन्हें चित्र के कोने पर 90° (नब्बे डिग्री) के कोण पर सीधा खड़ा करें।
  3. दोनों शीशों के बीच में झाँककर देखिए। …क्या हुआ? आपको शीशे में केक की छवि दिखाई देगी, और एक शानदार पूरा गोल केक नज़र आएगा!

  1. अब, शीशों के कोण को धीरे-धीरे कम करें। जब आप इसे 60°, 45° पर बदलेंगे, तो आप देखेंगे कि दिखाई देने वाले केक की संख्या (छवियों की संख्या) लगातार बढ़ती जा रही है। यह तो मानो कैलाइडोस्कोप (बहुरूपदर्शक) की दुनिया हो!

शीशे से बनने वाली अनंत दुनिया, इसका वैज्ञानिक रहस्य क्या है?
यह अद्भुत घटना “रोशनी के परावर्तन (Reflection of Light)” के कारण होती है। शीशे में दिखने वाली केक की छवि, फिर दूसरे शीशे में परावर्तित होती है, और वह छवि फिर सामने वाले शीशे में… इस तरह, रोशनी बार-बार टकराकर परावर्तित होती रहती है, जिससे हमें बहुत सारी छवियाँ (आभासी छवियाँ) दिखाई देती हैं। इसे “जुड़े हुए शीशे (Multiple Mirrors)” या “समानांतर दर्पण” कहते हैं।

तो, कोण बदलने पर छवियों की संख्या क्यों बदलती है? इसके पीछे एक मज़ेदार नियम छिपा है।

  • छवियों की संख्या का रहस्य: दरअसल, दिखाई देने वाली चीज़ों (असली वस्तु + छवियाँ) की कुल संख्या को एक आसान सूत्र से गिना जा सकता है:
    360°÷शीशों के बीच का कोण
    । उदाहरण के लिए, 90° पर “360 ÷ 90 = 4″। असली वस्तु 1 है, इसलिए 3 छवियाँ दिखेंगी, और कुल 4 से पूरा केक बन जाएगा। 60° पर कुल 6, और 45° पर कुल 8 केक दिखने चाहिए। इस प्रयोग से इसे ज़रूर जाँचें।
  • समरूपता की खोज: यह प्रयोग गणित और कला से जुड़ी “समरूपता (Symmetry)” को सीखने के लिए भी एकदम सही है। केक या तारे की आकृति इसलिए सुंदर लगती है क्योंकि वे रेखा-समरूप (Line-Symmetrical) हैं। अगर हम प्रकृति में देखें, तो तितली के पंख या बर्फ के क्रिस्टल जैसी कई खूबसूरत चीज़ों में समरूपता होती है। यह प्रयोग हमें न केवल वैज्ञानिक नज़रिए से, बल्कि चीज़ों की “खूबसूरती के पीछे की बनावट” को समझने का भी मौक़ा देता है।

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छिपी जुड़े शीशों की दुनिया
यह “जुड़े हुए शीशों” की तकनीक हमारे आस-पास भी काम आती है।

उदाहरण के लिए, विज्ञान संग्रहालय (Science Museum) में कुछ प्रदर्शनियाँ होती हैं। नीचे दिए गए चित्र की तरह, दो बड़े शीशों का उपयोग करके एक अद्भुत अनुभव दिया जाता है जहाँ लगता है कि स्थान (Space) अनंत तक फैला हुआ है।

इसके अलावा, कलाकार कुसामा यायोई (Yayoi Kusama) का काम “इंफ़िनिटी मिरर रूम” है, जो पूरे कमरे को शीशों से ढककर अनंत अंतरिक्ष वाली कला बनाता है। इतना ही नहीं, नाई की दुकान या ब्यूटी पार्लर में पीछे के बाल देखने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला हैंड मिरर भी इसी तकनीक का एक रूप है।

सिर्फ़ एक चित्र और दो शीशों से शुरू होने वाला यह प्रयोग, रोशनी के गुणों से लेकर गणितीय नियमों, कला और रोज़मर्रा के विज्ञान तक, सीखने की दुनिया को बहुत बड़ा कर देता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका दृश्य प्रभाव (Visual Impact) ऐसा है कि हर कोई “वाह, कितना मज़ेदार!” महसूस करता है, जो विज्ञान की ‘मस्ती’ का अनुभव करने का सबसे बेहतरीन दरवाज़ा है।

आप भी इसे अपने घर या क्लासरूम में ज़रूर आज़माएँ! यह रोशनी का एक छोटा सा जादू है!

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